“जीवन को छोटे उद्देश्यों के लिए जीना जीवन का अपमान है।”
“मैं माँ भारती का अम्रतपुत्र हूँ, “माता भूमि: पुत्रोहं प्रथिव्या:।”
“निष्काम कर्म, कर्म का अभाव नहीं, कर्तृत्व के अहंकार का अभाव होता है।”
“मेरे भीतर संकल्प की अग्नि निरंतर प्रज्ज्वलित है। मेरे जीवन का पथ सदा प्रकाशमान है।”
“पराक्रमशीलता, राष्ट्रवादिता, पारदर्शिता, दूरदर्शिता, आध्यात्मिक, मानवता एवं विनयशीलता मेरी कार्यश
योग ऋषि स्वामी रामदेव जी