मुझ में ओम् तुझ में ओम्,
सब में ओम् समाया।
सबसे कर लो प्यार जगत् में,
कोई नहीं पराया।।
मुझ में ओम् तुझ में ओम् ………… ।।
एक बाग के फूल है हम सब,
एक ही माला के मोती।
जितने हैं संसार में प्राणी,
सबमें एक ही है ज्योति।।
एक ही शक्ति है कण-कण में,
सब में उसकी छाया।
सबसे कर लो प्यार जगत् में ……….. ।।
ऊँच-नीच और भेद-भाव की,
दीवारों को तोड़ो।
बदला जमाना तुम भी बदलो,
बुरी आदत छोड़ो।।
जागो और जगाओ सबकोे,
समय ये ऐसा आया।
सबसे कर लो प्यार जगत् में ……….. ।।
एक पिता के बच्चे हैं हम,एक हमारी माता।
दाना पानी देने वाला,एक हमारा दाता।।
ना जानें किस मूरख ने है लड़ना हमे सिखाया।
सबसे कर लो प्यार जगत् में ……….. ।।
पाप करे और गंगा नहाये। किससे तू अपना पाप छिपाये।।
तेरा होगा बुरा अंजाम रे बन्दे।
बन्दे जप ले …………… ।।
ॐ जी
पतंजलि योग प्रचारक प्रकल्प निरंतर सफलता की ओर अग्रसर होता जा रहा है।
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ये प्रकल्प ऐसे ही अपने श्रेष्ठ कार्यो को करता हुआ निरंतर आगे बढ़ता रहे ।